The 2-Minute Rule for best hindi story
The 2-Minute Rule for best hindi story
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The novel touches on themes of gender discrimination, dowry, as well as struggles faced by Ladies in a male-dominated society. Premchand’s crafting is characterised by its deep idea of human character along with the socio-cultural backdrop of his time. By way of Nirmala, he sheds gentle over the injustices confronted by Women of all ages and raises crucial questions about morality, social conventions, and the necessity for societal reform.
As we embark with a literary odyssey, we dig to the enchanting globe of Hindi fiction publications, celebrating the brilliance of storytellers that have crafted tales that transcend time and Room. Through the eloquence of Premchand’s poignant realism to the trendy-day Hindi poetry by Harivansh Rai Bachchan, Hindi literature has repeatedly progressed, captivating readers with its capability to mirror society and articulate the complexities in the human soul.
धीरे धीरे रूपा और पीपल के पेड़ की दोस्त बढ़ने लगी। जब राजा को इसकी भनक लगी तो वह विचलित हो उठा। रूपा किसी खतरे में न पड़ जाये यह सोच कर उसने जंगल के सभी पेड़ कटवाने का निर्णय ले लिया। राजा के आदेश से सैनिक जंगल में पेड़ काटने पहुंचे पर वह जैसे ही पीपल के पेड़ की टहनियां काटते, पेड़ से नयी टहनियां ऊग आती। सैनिक घबरा गए। तब पीपल के पेड़ ने गरज कर कहा की सालों से वह और उसके साथी इंसानों को सांस लेने के लिए हवा देते आ रहे हैं , और आज यह लोग उन्हें ही ख़त्म करने चले हैं। अगर पेड़ नहीं रहे, तो इंसान भी नहीं बचेंगे। यह पता चलने पर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपना निर्णय वापस लिया और रूपा और पीपल के पेड़ की दोस्ती की फ़िक्र छोड़ दी।
Employing sharp wit and humor to depict the absurdities of ability dynamics, caste prejudices, along with the clash involving tradition and modernity, this novel remains a timeless common.
उन दिनों मैं बी.ए. फाइनल इयर में थी। मम्मी, पापा को छोड़कर वेदांत अंकल के साथ ही रहने लगी थी। महीने-दो-महीने में वह इधर का एक चक्कर लगाती और मुझसे मिलकर चली जाती। जहां तक मैं जानती थी, मम्मी-पापा में अलगाव का कारण सेक्स ही था
पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।
एक बार सूरज, पवन और चन्द्रमा अपने चाचा-चाची बिजली और तूफ़ान के घर दावत खाने गए थे। उनकी माँ, जो दूर सितारों में से एक थी , अपने बच्चों का वापस आने का इंतज़ार कर रही थी। दावत में, तरह तरह के पकवान थे। सूरज और पवन ने जम के दावत के मज़े उड़ाए। पर चन्द्रमा को अपनी अकेली माँ का ध्यान था इसलिए उसने खाने के साथ साथ थोड़े से पकवान माँ के लिए भी रख लिए।
उसने राजा के बेटे को घटना सुनाई और उसे झरने के पास ले गया। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि शेर परी की गोद में सो रहा है। उन्होंने परी को महल में ले जाने का फैसला किया जबकि मंत्री का बेटा शेर के साथ ही रहा। थोड़ी देर बाद जब शेर उठा तो लड़के ने कहा कि उसका दोस्त परी को महल में ले गया है। शेर फिर हँसा और उससे कहा कि अगर राजा का बेटा सच्चा दोस्त होता तो वह उसे शेर के साथ कभी अकेला नहीं छोड़ता। फिर उसने तीन महान मित्रों- एक राजा, एक पुजारी और एक भवन निर्माता की कहानी सुनाना शुरू किया, जिन्होंने दोस्ती का सही अर्थ दिखाया और अंत तक हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे।
टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।
Through this Hindi fiction e book, Munshi Premchand delivers a vivid and reasonable portrayal of rural life, giving visitors a glimpse into the intricate Net of more info human emotions and societal constructions in early 20th-century India. The novel stands to be a timeless typical, exploring the themes of morality, sacrifice, and the quest for dignity amidst a backdrop of agrarian struggles.
अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :
शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
Image: Courtesy Amazon Initially posted in 1943, the novel is an epic tale that spans many millennia, tracing the cultural and historical evolution of Indian civilisation. The narrative unfolds within a series of interconnected stories, pursuing the lives of figures who signify distinct epochs, from the Vedic interval to the trendy era. The title “Volga Se Ganga” symbolically hyperlinks two major rivers, the Volga in Russia and the Ganga in India, to focus on the interconnectedness of human civilisations across geographical boundaries.